MSP कमेटी किसानों और उनके विश्वास के साथ ऐक धोखा
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संयुक्त किसान मोर्चा ने जिस एमएसपी कमेटी के गठन की मांग की थी यह कमेटी उससे कतई मेल ही नहीं खाती है। जिन नौकरशाहों ने तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया था या उनको लागू करने में भूमिका निभाई थी वह इसमें शामिल कर लिए गए हैं।
हमारी मांग है कि सरकार पहले एमएसपी की कानूनी गारंटी दे और उसे लागू करने के लिए जरूरी कदम सुझाने के लिए कमेटी का गठन करे। लेकिन सरकार ने एमएसपी की कानूनी गारंटी की कोई बात नहीं की है और वह मौजूदा एमएसपी व्यवस्था को प्रभावी बनाने की बात कर रही है। साथ ही प्राकृतिक खेती, फसल विविधिकरण, कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) को प्रभावी बनाने से मुद्दे इसमें जोड़कर इसे एक बड़ा स्वरूप दे दिया गया है। इसलिए ऐसी कमेटी में जहां हमारे मुद्दों का विरोध करने वाले लोेगों का वर्चस्व है वहां संयुक्त मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन के प्रतिनिधियों के शामिल होने के कोई मायने नहीं हैं।
प्राकृतिक खेती और फसल विविधिकरण बड़े मामले हैं और इनका एमएसपी से सीधे लेना देना नहीं है, इन पर अलग से कमेटी बनाई जाए तो कोई आपत्ति नहीं लेकिन एमएसपी कमेटी का मौजूदा स्वरूप हमें कतई मंजूर नहीं।
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